रूप चतुर्दशी- पुष्य स्नान, एक विलुप्त होता प्रावधान

रूप चतुर्दशी- पुष्य स्नान, एक विलुप्त होता प्रावधान

वर्ष 2016 , 29 अक्टूबर को रूप चतुर्दशी मनाई जाएगी । लोग इसे छोटी दिवाली (दीपावली) के रूप मानते हैं । इस दिन संध्यां काल में roop chaturdashi poojaदीपक जला के चारो ओर रौशनी की जाती है । रूप चतुर्दशी को नरक चौदस, नर्क चतुर्दशी, रुप चौदस अथवा नरका पूजा के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी पर मृत्यु के देवता यमराज की पूजा का विधान होता है|

पुष्य स्नान – एक विलुप्त होता प्रावधान

रूप चतुर्दशी औषधिक स्नान, सौंदर्य एवं आनंद का त्यौहार है। पौराणिक काल में पुष्‍य स्‍नान नामक पद्धति बहुत ही प्रचलित था। इस काल में समाज के उत्कृष्ट वर्गों की वधु इस दिन कई औषधियों व अन्य तरल एवं सुगन्धित पदार्थो से युक्त जल से स्नान कर के अपना रूप सवारती थीं । यह अभिजात्‍य कुलों, खासकर शासक वर्गों में प्रचलित था और बहुत विधिपूर्वक होता था। इस अनुष्ठान में उपयोग होने वाली औषधियां निम्न प्रकार हैं :

  • कांगुुनी
  • चिरायता के फल
  • हरड़
  • अपराजिता
  • जीवन्‍ती
  • सोंठ
  • पाढरि
  • लाज मंजिठा
  • विजया
  • मुद्गपर्णी

  • सहदेवी
  • नागरमोथा
  • शतावरी
  • रीठा
  • शमी
  • बला के चूर्णों
  • ब्राह्मी
  • क्षेमा या काठ गुगुल
  • अजा नामक औषधि
  • सर्वौषधि बीज
  • एवं अन्‍य मंगल द्रव्‍य

इस अनुष्ठान में पुष्‍य नक्षत्रगत चंद्रमा का संयोग देखकर स्‍नान किया जाता था। इस स्नान के कालावधि में विभिन्न मंत्रों का जाप किया जाता था जैसे की :

“कलशैर्हेमताम्रैश्‍च राजतैर्मृण्‍मयैस्‍तथा। सूत्र संवे‍ष्टितग्रीवै: च चन्‍दननागरु चर्चितै:।
प्रशस्‍त वृक्ष पत्रैश्‍च फलपुष्‍प समन्वितै:। पुण्‍यतोयेन संपूर्णै रत्‍नगर्भै: मनोहरै:।। “

यह स्‍नान रूप, सेहत, सम्पन्नता, उल्लास, जय इत्यादि के उद्देश्‍य से मनाया जाता था ।

आप सभी को रूप चतुर्दशी की हार्दिक शुभकामनाएं ।

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