विवाह मुहूर्त 2020

विवाह मुहूर्त 2020

भारतीय समाज की व्यवस्थाओ का सबसे मजबूत आधार स्तम्भ विवाह है, यही से परिवार और उसके बाद समाज का निर्माण होता है| वर्तमान परिपेक्ष में जंहा विवाह अत्यंत आवश्यक प्रक्रिया बन गया है वही विवाह को निभाना और इस व्यवस्था को स्थिर बनाये रखना हमारी आगामी पीडी के लिए चुनौती भी बनता जा रहा है| अगर विवाह शुभ मुहूर्त (Vivah Subh Muhurat) में किया जाये तो वैवाहिक जीवन(Married Life) की संभावित और आगामी चुनातियो से निपटना आसान हो सकता है| जिन परिवारों में अब विवाह होने है उन्हें इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए की विवाह अत्यंत शुभ मुहूर्त(special auspicious time for Marriage) में हो जिससे वैवाहिक जीवन मंगलमय (Happy Married Life) रहे | सनातन धर्म(Eternal Religion) को मानने वाले लोग कुछ विशेष बातो का ध्यान रखते है जिनमे सबसे मुख्य है की चौमासे में विवाह न हो अर्थात (Devshayani Ekadashi)देवशयनी एकादशी (आषाड माह, शुक्ल पक्ष एकादशी) से (Dev Uthani Ekadashi)देव उठनी एकादशी (देव प्रबोधिनी, कार्तिक माह शुक्ल पक्ष एकादशी) के चार माह के अन्तराल में विवाह नहीं किये जाने चाहिए |

Get your Marriage Auspicious Time Calculation at just  Rs. 299. Just send us your Birth Chart Details on
“whatsapp no. +91 95090 32809”, get answer.

Payment through : PayTM “9636243039”

जब देव गुरु बृहस्पति या शुक्र देव अस्त हो उस समय विवाह नही होना चाहिए| मल मास(Mal Maas) अर्थात जब सूर्य धनु अथवा मीन राशी(Meen Rashi) से गुजर रहे हो उस समय भी (auspicious marriage)विवाह शुभ नहीं माने जाते| विवाह का दिन चयन(How to choose date for marriage) करते समय वर एवं वधु(Bride and Groom) की कुंडलियो(Birth Chart) के आधार पर सावा निकाला जाता है, इसमें अधिक रेखाओ का महत्व है अर्थात सबसे ज्यादा दस रेखा का सावा अत्यंत शुभ होता है, जिस मुहूर्त में रेखाओ की संख्या कम होगी वो उतना ही कमजोर मुहूर्त होगा| पुरे वर्ष में कुछ मुहूर्त अबूझ माने जाते है जिनमे अत्यंत महत्वपूर्ण मुहूर्त है: चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, राम जन्म दिवस (राम नवमी), अक्षय तृतीया (आखा तीज), जानकी नवमी, पिपल पूर्णिमा, गंगा दशमी, निर्जला एकादशी, भड़ल्या नवमी, जन्माष्टमी, गोगा नवमी, जल झुलनी एकादशी, विजय दशमी (दशहरा), कुछ लोग दीपावली को भी शुभ मानते है किन्तु इसमें मत मतान्तर है, देव प्रबोधिनी एकादशी, बसंत पंचमी, फुलेरा डोज, शीतला अष्टमी| इनमे सभी तिथियों को निर्धारित करते समय मुहूर्त के अन्य सिधांत गौण हो जाते है किन्तु मेरा व्यक्तिगत मानना यह है की कितना ही अबूझ माना जाने वाला मुहूर्त क्यों न हो किन्तु वर वधु की कुंडली(Bride Groom Birth Chart) के हिसाब से और चंद्रमा व् गोचर(Chandrama and Gochar) के हिसाब से ही विवाह का मुहूर्त(Time  for marriage) निकालना चाहिए|

Scan and Pay to Get Answers

अपने प्रश्नो का उत्तर केवल 299 रूपये प्रति प्रश्न प्राप्त कर सकते हैं। उत्तर पाने के लिए अपना प्रश्न हमें

“Whatsapp: +91 95090 32809” पर भेजें |

Payment through : PayTM “9636243039” (Pay Rs. 299 per Question)

वार्षिक राशिफल 2022